राज्य प्रवक्ता
हिमालय से न सिर्फ अनेकों नदियां निकलती हैं बल्कि अध्यात्म की भी कई धाराएं पूरे देश केा सुख, शांति और समृद्धि संदेश देती है। भगवान बदरीनाथ और माता मूर्ति उत्सव भी उच्च हिमालय क्षेत्र की सशक्त संस्कृति का उदाहरण हैं।
धार्मिक परंपरानुसार बामन द्वादशी के दिन सुबह 10 बजे से श्री बदरीनाथ मंदिर प्रांगण में मातामूर्ति प्रस्थान की तैयारी शुरू हुई। प्रातः अभिषेक पूजा और बाल भोग के पश्चात पूर्वाह्न ग्यारह बजे समारोह पूर्वक सेना के बेंड की भक्तिमय धुनों व जय उदघोष के साथ भगवान बदरीविशाल स्वरूप श्री उद्धव जी ने देव डोली में बैठ कर मातामूर्ति को प्रस्थान किया।
इस तरह समारोह पूर्वक भगवान के सखा प्रतिनिधि उद्धव जी श्री बदरीनाथ भगवान की माता मूर्ति देवी को मिलने पहुंचे। तपस्यारत बदरीनाथ भगवान की कुशलक्षेम माता मूर्ति को बताई। भाद्रपद बामन द्वादशी के अवसर पर आयोजित माता मूर्ति उत्सव से पहले बीते सोमवार शाम को माणा गांव से भगवान बदरीविशाल के क्षेत्रपाल रक्षक श्री घंटाकर्ण जी महाराज ने बदरीनाथ मंदिर पहुंचकर श्री बदरीनाथ भगवान को मातामूर्ति आने का न्यौता दिया था। रास्ते में भारत के पहले गांव माणा की महिला मंडल ने उद्धव जी को जौ की हरियाली भेंट की और मांगल गीत गाए। इस दौरान संपूर्ण मातामूर्ति क्षेत्र जय मातामूर्ति जी क्षेत्र जय बदरीविशाल- जय घंटाकर्ण महाराज के जयघोष से गूंज उठा।
इसके बाद मातामूर्ति पहुंचते ही श्री उद्धव जी मातामूर्ति जी को मिले। तथा कुशलक्षेम बतायी इसके साथ ही रावल द्वारा अभिषेक, धर्माधिकारी- वेदपाठियों और माता मूर्ति मंदिर के पुजारी ने पूजा- अर्चना की । यज्ञ- हवन के साथ मातामूर्ति देवी व श्री उद्धव जी का दुग्धाभिषेक किया गया। जौ की हरियाली श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप दी गयी। अभिषेक, पूजा-अर्चना के बाद दिन का भोग मातामूर्ति मंदिर लगाया गया। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने मातामूर्ति एवं श्री उद्धव जी के दर्शन किये। मेले के दौरान प्रातः दस बजे से अपराह्न तीन बजे तक श्री बदरीनाथ मंदिर बंद रहा।
अपराह्न ठीक तीन बजे उद्धव जी की डोली में बैठकर समारोह के साथ श्री बदरीनाथ धाम को वापस आ गये। मंदिर पहुंचकर बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह में विराजमान हो गये। इसी के साथ मातामूर्ति मेले का समापन हो गया।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि मातामूर्ति मेले के दौरान दिन में बदरीनाथ मंदिर बंद रहने के बाद पुनः शाम तीन बजे से मंदिर में दर्शन तथा पूजायें शुरू हो गयी। वहीं सांयकाल को बामणी गांव से कुबेर जी के पश्वा ( अवतारी पुरुष) बदरीनाथ मंदिर पहुंचे और कटार पर बैठकर स्नान किया। श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मेले में पहुंचे सभी यात्रियों व स्थानीय गांव के लोंगों को धन्यवाद ज्ञापित किया।