राज्य प्रवक्ता
उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराएं देवी-देवताओं से जुड़ी हुई हैं। यहां कोई भी कार्य बगैर देवताओं की उपस्थिति के नहीं होता। अद्भूत देव डोलियां तो मानव मन की उलझी हुई गुत्थियां नहीं सुलझाती बल्कि जीवन की कठिन डगर को सुगम बना देती है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान तुंगनाथ पंच केदारनाथ में एक हैं। शीतकाल में तुंगनाथ क्षेत्र में बर्फबारी के साथ ही तुंगनाथ की चल डोली भी शीतकाल प्रवास मक्कूमठ पहुंच गई और अब शीतकाल में उनके दर्शन यहीं होंगे। भगवान तुंगनाथ की डोली के मक्कूमठ आगमन पर मन्दिर समिति, हक – हकूकधारियो व ग्रामीणों के संयुक्त तत्वावधान में कई वर्षों बाद शाही भोज का आयोजन किया गया। शाही भोज में लगभग 10 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। उत्सव डोली का विभिन्न पड़ावों पर ग्रामीणों ने पुष्प, अक्षत्र और पीताम्बरी और रक्त वर्ण के वस्त्र भेंट कर स्वागत किया। राकेश्वरी नदी पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ की डोली सहित विभिन्न देवी – देवताओं के निशाणों ने स्नान किया। डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होने पर मठापति राम प्रसाद मैठाणी ने दान की परम्पराओं का निर्वहन किया गया। मन्दिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि इस बार तुंगनाथ धाम में 1 लाख 36 हजार तीर्थ यात्रियों के आने से नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है।