सूर्य अस्त के बाद निकलती है यात्रा, मांस और शराब का करना होगा एक सप्ताह पहले त्याग
राज्य प्रवक्ता
उत्तराखंड के एक रुद्रप्रयाग जिले में दुर्गा का एक ऐसा मंदिर है, जो घने जंगलों के बीच स्थित है। यहां जाने से एक सप्ताह पहले मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज समेत अन्य मांसाहार और तामसी भोजन का त्याग करना पड़ता है। इस हरियाली देवी के मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र में महिलाओं का प्रवेश आज भी वर्जित है। नवम्बर माह माह में सूर्य अस्त के बाद देवी के मंदिर तक यात्रा शुरू होती है और यात्रा ब्रहम मुहूर्त में मंदिर प्रांगण में पहुंचती है यात्रा में सिर्फ पुरुष ही शामिल होते हैं। हरियाली कांठा में पूजा पूर्ण होने के बाद लोग अपने गांव जसोली पहुंचते हैं। मान्यताओं के अनुसार हरियाली देवी साल में एक दिन अपने मायके जाती है। जहां आसपास के गांवों के ग्रामीणों हरियाली देवी को पुष्प प्रसाद अर्पित करते हैं और क्षेत्र की खुशहाली के लिए अपनी आराध्य देवी से प्रार्थना करते हैं। एक दिवसीय यात्रा को लेकर जसोली क्षेत्र के लोगों मे काफी उत्साह बना रहता है। गांवों से दूर रह रहे प्रवासी भी देव यात्रा में सम्मलित होने को अपने गांव को आते हैं। हरियाली देवी के मंदिर समिति अध्यक्ष विनोद प्रसाद मैठाणी ने बताया कि 10 नवम्बर को मां हरियाली देवी की डोली शाम को मन्दिर परिसर से निकल कर हरियाली कांठा को प्रस्थान करेगी। प्रथम पड़ाव कोदिमा में रुक कर पूजा अर्चना के बाद दूसरे पड़ाव बांसों के लिये प्रस्थान करेगी। यहां पर 3 बजे रात तक विश्राम करेगी। ब्रह्ममुहूर्त में डोली स्नान के लिए पंचरंगा के लिए प्रस्थान करेगी। यहां स्नान कर हरियाली कांठा को निकलेगी। सूर्योदय के साथ ही चतुदर्णी मन्दिर में प्रवेश करेगी जहां पूजा अर्चन, हवन के साथ प्रसाद वितरण किया जाएगा। जसोली ग्राम प्रधान अर्चना चमोली ने सभी देव भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में मां हरियाली देवी का आशीर्वाद ग्रहण करने का आवाह्न किया है।