अब प्रशासन वीआईपी संभाले, या थामे श्रमिकों और उनके परिजनों का गुस्सा
राहत व बचाव पर खर्च हो रहे धन का क्या कंपनी से लिया जाएगा हिसाब
राज्य प्रवक्ता
सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों की बेवसी का एहसास अब बाहर सुरंग के बाहर खड़े सुरंग में फंसे लोगों के परिजन, श्रमिक व स्थानीय लोगों के गुस्से में तब्दील हो रहा है। सुरंग में दिन रात काम करने वाले मजदूर तो सुरंग की कार्यदायी संस्था को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा रहा है। हमें कुछ श्रमिकों बताया कि रविवार को सुरंग के 200 मीटर हिस्से का मलबा पहले हल्के से नीचे गिरा। इस जगह पर लगातार मलबा गिरता था और श्रमिक भीतर काम पर जाते वक्त यहां से बचकर निकलते थे।
उस दिन जब हल्का मलबा गिरा तो एक शॉटक्रिट मशीन व एक बूमर मशीन काम कर रही थी लेकिन मलबा गिरते ही ऑपरेटर मशीन छोड़ कर भाग गए और दोनों मशीनें वही दबी है। यानि जब पाइप डालने का कार्य आगे बढ़ेगा तो ये मशीने भी बाधा बन सकती हैं। श्रमिक बताते हैं कि भूस्खलन वाले हिस्से का स्थायी उपचार के बजाय काम आगे बढ़ा दिया गया और इस हिस्से पर सरिया के रिब लगाए गए। 32 एमएम सरिया मलबे के भार को नहीं सह पाया और टनों मलबे से सुरंग पट गई। बताया कि सुरंग के दो हजार मीटर से इक्कीस सौ मीटर वाले हिस्से को स्थायी नहीं किया गया है और यहां मलबा हटाते ही और मलबा ऊपर से गिर जाता है। फिलवक्त बाहर खड़े लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है। ऐसे में उप जिलाधिकारी डुंडा लगातार उन्हें समझा रहे हैं और उम्मीद दिला रहे हैं कि श्रमिक जल्द बाहर आ जाएंगे। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस पूरी मेहनत से राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है लेकिन यहां बड़ी बात यह देखने को मिली कि कार्यदायी संस्था नवयुग आखिर सुरंग में काम कैसे कर रही थी। कंपनी के पास पर्याप्त मशीनें तक उपलब्ध नहीं हैं और आपत स्थित से निबटने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। साफ है कि सुरंग हैवी ब्लास्टिंग से खोदी जा रही थी। मशीने सिर्फ मलबा हटाने का काम कर रही थी। इस कंपनी पर तो कठोर से कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए। ब्लैक लिस्ट कर अब तक राज्य सरकार का जितना खर्चा हुआ है वह भी वसूल किया जाना चाहिए। आखिर कंपनी की लापरवाही का खर्चा गरीब उत्तराखंड के लोग क्यों झेले।
मशीनों के प्लेट फार्म तैयार
मशीनों के लिए प्लेट फार्म तैयार कर दिया गया है और अब जल्द 900 एमएम के पाइप मशीन के भीतर डाले जाएंगे। 21 मीटर हिस्से तक मलबा हटाया गया है और अब 9 से 10 मीटर हिस्से में पाइप डालकर मजदूरों को निकाला जाना है। सब कुछ ठीक रहा तो शुक्रवार सुबह भीतर फंसे चालीस मजदूर अंधेरी सुरंग से बाहर निकल पाएंगे।
वीके सिंह ने मजदूरों से की वार्ता
जनरल वी के सिंह, अवकाश प्राप्त ने टनल में फंसे मजदूरों के परिजनों से वार्ता कर उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार रेस्क्यू के लिए हर संभव प्रयास करेगी। संयम रखें और सरकार के प्रयासों में सहयोग करे।