राज्य प्रवक्ता
इस सुरंग के ठीक ऊपर बौखनाथ नाग का मंदिर है। बौखनाथ इस पूरे क्षेत्र का ईष्ट है और क्षेत्र में बगैर बौखनाथ की राय के स्थानीय लोग कोई भी शुभ कार्य नहीं करते। यहां तक शादी के लिए वर-वधु के चयन के समय भी बौखनाथ की डोली से पूछा जाता है। स्थानीय लोगों की इस देवता के प्रति अकूत आस्था है। सिलक्यारा क्षेत्र भी इसी बौखनाथ की थाती कहलार्इ जाती है। असल में जब सुरंग का निर्माण शुरू हुआ तो स्थानीय लोगों ने नवयुग कंपनी को सुरंग के बाहर मंदिर बनाने की सलाह दी और बौखनाथ की पूजा अर्चना कर ही काम शुरू करने के लिए कहा लेकिन कंपनी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया और लोगों की आस्था को देखते हुए सिर्फ औपचारिकता निभाई। अब जब दीपावली को श्रमिक सुरंग में फंसे तो फिर कंपनी के लोगों को भी लगा कि उन्होंने गलती कर दी और बौखनाथ की पूजा अर्चना की गई। इस पर भी जब काम नहीं बना तो वीरवार को सुरंग के बाहर अभी हाल में बने मंदिर तक बौखनाथ की डोली को लाया गया। यहां बकायदा डोली के आगे नतमस्तक होकर प्रशासन के अधिकारियों, राजनीति से जुड़े लोग और कंपनी के अधिकारी क्षमा याचना के साथ ही सुरंग में चल रहे राहत एवं बचाव कार्य को सफल बनाने की प्रार्थना करते नजर आए। बताया गया कि देव पश्वा ने ये तो कहा श्रमिक सुरक्षित बाहर लाएंगे लेकिन कब इस विषय में कुछ भी नहीं कहा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अधिकारियों के साथ बौखनाथ की पूजा अर्चना की। बहरहाल अब बौखनाथ की पूजा अर्चना के बाद ही राहत के कार्य आगे बढ़ाए जा रहे हैं। वीरवार को पूजा अर्चना के प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेमचंद, गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, प्रशासनिक अधिकारी और कंपनी के अधिकारी शामिल रहे। सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री जनरल बीके सिंह ने भी बौखनाथ की पूजा अर्चना कर प्रार्थना की।