राज्य प्रवक्ता
सिलक्यारा सुरंग का रेस्क्यू ऑपरेशन एक ऐसा रेस्क्यू था, जिसके संचालन के कुशल प्रशासनिक क्षमता, धैर्य, साहस और बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता थी। शुरूआत में आपदा सचिव रणजीत सिन्हा का बयान आया कि 24 घंटे में हम रेस्क्यू पूरा कर लेंगे तब लगा कि पुष्कर सिंह धामी ने अब सब कुछ सिन्हा पर छोड़ दिया है लेकिन उसी दिन धामी सक्रिय हुए प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर तमाम एजेंसियों का आपसी समन्वय बनाकर कार्य शुरू किया। सीएम धामी बड़े धैर्य के साथ सधे हुए शब्दों में मीडिया के सामने बात रखी और अपनी बात को देश-दुनिया में पहुंचाकर विश्वास दिया कि सभी मजदूर सुरक्षित हैं और सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपडेट कराते रहे और जरूरी तकनीक, मशीन और श्रमिकों को लेकर बातचीत करते रहे। अधिकारियों के साथ रोज बैठक कर मामले के समाधान और नए प्रयासों पर विचार करने के साथ ही उसे जमीन पर उतारते रहे।
मुख्यमंत्री का फीड बैक इतना सही था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिन तक चलते सिलक्यारा ऑपरेशन के दौरान सीएम से आठ बार बातचीत की और उनके सुझाव सुनने के साथ ही उन्हें सलाह देते रहे। इस पूरे प्रकरण में यह भी साफ हुआ कि सीएम धामी की प्रधानमंत्री के बीच गहरा तालमेल है। धामी ने प्रधानमंत्री और पीएचमओ कार्यालय को बिल्कुल भी शिकायत या किसी अन्य प्रकार की राजनीति को हावी होने ही नहीं दिया। इस बीच विरोधियों को भी आपदा में अवसर मिल सकता था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सिलक्यारा भी सांसद रमेश पोखरियाल निशंक और प्रेमचंद भही पहुंच पाए अन्य शिलान्यास और लोकार्पण के साथ मेले कौथिगों में ही नजर आए। यह कुशल राजनीतिक समझ का ही उदाहरण था कि रेस्क्यू के दौरान धामी ने हर दृष्टि से सुरक्षा कवच धारण किया। सूचना निदेशक बंशीधर की मदद से मीडिया को भी बिल्कुल हावी नहीं होने दिया। तिवाड़ी जी ने कैसे प्रबंधन किया, यह कई पत्रकार गुस्से में बड़बड़ाते हुए कह रहे हैं लेकिन अंत भला तो सब भला। शुरूआत में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन कंपनी के साथ मिलकर कार्य में जुटे थे। अब जरा ये जाने की कब क्या हुआ था।
12 नवम्बर :- सुबह 5:30 पर सुरंग के भीतर भूस्ख्लन का मलबा भर गया। तब भीतर कितने मजदूर है, उनका क्या हाल है किसी को पता नहीं था लेकिन शाम को चार इंची पाइस से पानी छोड़्र कर बताया अपने सही-सलामत होने की सूचना भेजी। संकेत प्राप्त होने के बाद जेसीबी और उपलब्ध मशीनों से मलबा हटाने के प्रयास शुरू हुए लेकिन मलबे के पहाड़ के आगे जेसीबी और उपलब्ध संसाधन थके नजर आए।
13 नवम्बर : श्रमिकों तक पहुंचने के लिए क्षैतिज ड्रिलिंग कर स्टील के पाइप बिछाने का तैयारी शुरू की गई।
14 नवम्बर : जल निगम देहरादून की ड्रिलिंग मशीन सिलक्यारा पहुंची और पाइन बिछाने का कार्य आरंभ हुआ। सबको आशा थी कि अब सुरंग में रास्ता बन जाएगा लेकिन मशीन खराब हो गई और ड्रिलिंग का कार्य बंद हो गया।
15 नवम्बर : कार्य ठप रहा। चिन्यालीसौड अमेरीकन ड्रिलिंग मशीन उतरी।
16 नवम्बर : अमेरीकन ड्रिलिंग मशीन ने कार्य शुरू किया और 900 एमएम के 18 पाइप सुरंग में डाले गए। दिल्ली हरक्यूलिस विमान से यह मशीन पहुंचाई गई थी।
17 नवम्बर : ऑगर मशीन ने 22 मीटर तक 900 एमएम के पाइप भीतर पहुंचाकर रास्ता तैयार किया लेकिन मशीन के कंपन से सुरंग के भीतर भूस्खलन होने से कार्य बंद कर दिया गया।
18 नवम्बर : पीएमओ की टीम सिलक्यारा पहुंची और बचाव कार्य केंद्र ने अपने हाथ में ले लिए। इसके बाद सुरंग के ऊपरी हिस्से के साथ ही क्षैतिज और वटिंकल खोदाई शुरू कर दी गई। श्रमिकों तक पहुंचने की योजनाओं पर विचार किया गया।
19 नवम्बर : क्षैतिज ड्रिलिंग का कार्य ठप कर दिया गया और सुरंग के ऊपरी हिस्से से यानी वटिंकल ड्रिलिंग शुरू कर दी गई।
20 नवम्बर : इस दिन एक बड़ी कामयाबी यह मिली कि छह इंज का पाइप 57 मीटर तक पहुंचाकर श्रमिकों को भोजन और पर्याप्त मात्रा में दवाईयां पहुंचाई गई।
21 नवम्बर : छह इंच के पाइप से पहली बार इंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए श्रमिकों को देश और दुनिया ने देखा। इसी के साथ 17 नवम्बर से बंद ऑगर मशीन ने एक बार फिर कार्य शुरू कर दिया और क्षैतिज ड्रिलिंग का कार्य आरंभ हुआ।
22 नवम्बर : 45 मीटर 900 एमएम के पाइप पहुंचाने के बाद ऑगर मशीन में लोहे के टुकड़े फंस गए। मशीन बंद हो गई और लोगों में निराशा छा गई।
23 नवम्बर : ऑगर मशीन चली लेकिन मात्र 1.6 मीटर पाइप भीतर पहुंचाने के बाद लोहे के टुकड़े आने से अटक गई।
24 नवम्बर : बमुश्किल ऑगर में फंसे लोके टुकड़ों को हटाकर मशीन फिर शुरू की गई लेकिन 48.8 मीटर पर मशीन फिर लोहे के जाल में ऐसी फंसी की डिक्स ने कह दिया कि अब तो क्रिसमस तक ही श्रमिकों को बाहर निकाला जा सकेगा। वर्टिंकल ड्रिलिंग शुरू तेज कर दी गई। निराश और हताशा।
25 नवम्बर : गैस कटर भी काम नहीं कर पाए, ऐसे में हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया।
26 नवम्बर : सुरंग के ऊपर पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के साथ ही क्षैतिज ड्रिलिंग जारी रखने के लिए रैट माइनर्स बुलाए गए।
27 नवम्बर : सुरंग में 70 घंटे से फंसी ऑगर मशीन के पार्ट बाहर निकाले गए। रैट माइनर्स ने टनल के भीतर 900 एमएम के पाइप से भीतर जाकर खोदाई शुरू की।
28 नवम्बर : रैट माइनर्स ने लगातार सुरंग की खोदाई जारी रखी और आर्गर मशीन पाइपों को भीतर धक्का देकर पहुंचाती रही। रैट माइनर्स ने 900 एमएम के पाइप के साथ 800 एमएम के पाइप भी जोड़ने शुरू किए। दोपहर 1:30 बजे श्रमिकों तक पाइप के जरिए निकासी का रास्ता बन गया लेकिन यहां अत्यधिक पानी होने की वजह से उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका। फिर एक और पाइप जोड़कर रास्ता बनाया गया। इस कार्य में करीब चार घंटे का समय लगा।
28 नवम्बर : शाम 7:45 पर पहला श्रमिक पाइप सुरंग से बाहर आया।
17 दिन यानि 425 घंटे से अधिक समय तक चले इस रेस्क्यू में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। हर किसी का सवाल धामी से था कि कब बाहर आएंगे मजदूर, अखबारों के पहले पेज की लीड़, दिल्ली और कई अन्य जगहों से आए मीडिया के कर्मी, पोर्टल और स्थानीय समाचार पत्रों के पत्रकार लगातार एक ही सवाल कर रहे थे कब आएंगे श्रमिक बाहर। इस माहौल में भी धामी बिल्कुल शांत नजर आए और अधिकारियों, विशेषज्ञों और अधिकारियों के साथ ही कार्य कर रहे श्रमिकों व भीतर फंसे श्रमिकों की हौसला अफजाई करते रहे। रेस्क्यू के अंत में भीतर से बाहर आ रहे श्रमिकों को आत्मीयता से गले लगाने के साथ ही उनके परिजनों को भी ऐसे संभाला जैसे वे भी उन्हीं के परिवार के हों। यानी धामी रानीतिज्ञ के साथ कुशल प्रशासनिक क्षमता के साथ ही दूरदर्शिता और कुशल प्रबंधक भी साबित हुए हैं।
यही वजह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने भी धामी को शुभकामनाएं दी और मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री धामी का परिचय
जन्म तिथि – 16 सितम्बर 1974
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति जीवन की शुरूआत की। यहां एबीवीपी से जुड़े। लखनऊ में एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन के संयोजक रहे।
- यूपी के एबीवीपी के महासचिव
- लखनऊ विश्वविद्यालय से मानव संसाधन और औद्योगिकी में स्नाकोत्तर के साथ ही एलएलबी और डिप्लोमा इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की शैक्षिक योग्यता
- 2002 से 2008 : दो बार उत्तराखंड में भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष
- 2001-2002 सीएम भगत सिंह कोश्यारी के ओएसडी ्र
- 2021 तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद से अब तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
- आरएसएस के संघ शिक्षा वर्ग प्रशिक्षित, संघ आयु 32 वर्ष
- विधायक खटीमा उत्तराखंड (2012- 2017 )
- विधायक चंपावत, उत्तराखंड (2017 -2022 )
2022 में चंपावत विधानसभा से वे चुनाव हार गए थे लेकिन उप चुनाव में उन्होंने शानदार जीत दर्ज की।