नरू भैजी , जागी ग्यै उत्तराखंड, तब तक लड़ाई लडेंगे, जब तलक पहचान न मिल जाए
राज्य प्रवक्ता
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद बाहरी लोगों यहां के स्थाई निवासी बन गए हैं। आज स्थिति यह है कि मूल निवासी को बाहरी लोगों ने हाशिए पर खड़ा कर दिया है। देहरादून में बैठे गद्दीसीन सिर्फ अपना भला चाहते हैं, राज्य के मूल निवासी भटक रहे हैं।
23 साल से यही चल रहा है लेकिन अब गिरी कंदाराओं में सोया हुआ उत्तराखंड का लोग जाग गए हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड स्वाभिमान रैली में सरकारों के प्रति गुस्से के सैलाब में डौर-थाली, हुड़का, मसक बाज और ढोल-दमाऊ की थाप पर स्वनाम धन्य नरेंद्र सिंह नेगी के गीत परेड ग्राउंड से शहीद स्थल तक गूंजते रहे। यहां न पदम श्री प्रीत भरतवाण के गीत लोगों ने गाए न बसंती के। वजह सिर्फ ये है कि अन्य तो पुरस्कार की दौड़ में है, उन्हें इससे कोई लेना देना नहीं।
पर्यावरण विद् को तो भारी मुंडारू हो रखा है बल और पुरोला, मोरी के टमाटर बेचने वाला नोटो की गड्डी में सोया हुआ है। खैर देहरादून में महारैली तो नरू भैजी और भाभी पीपलकोटी से धर्म धाद लगा रहे थे। बहरहाल देहरादून की गद्दी फिर कांप गई और बदरीनाथ के पंडित डिमरी का शंख भले ही बदरीनाथ में न बजता हो लेकिन देहरादून में जो शंख बजा, उसका ही असर था कि महारैली के साथ भाजपा ने मोदी है ना कि रैली निकाली। खैर उत्तराखंड की सबसे बड़ी पार्टी जो ठहरी। महारैली ऐसी कि बाहर से उत्तराखंड में मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी की कृपा से बसे चालीस लाख से अधिक लोगों ने बगल में हो रही रैली में गमछा और टोपी तक बांट दी। सुना है अभी बहुत कुछ वहां बंटना है लेकिन उत्तराखंड के लोगों को भू-कानून और मूल तो चाहिए ही। देहरादून में जो कुछ हुआ उससे राज दरबार थर्र-थर्र कांप रहा है। सिंहासन डोल रहा है। गर्जन ऐसी ही रही तो वह दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड के लोगों का अपना राज होगा।
पूर्व सैनिकों के बूटों की धमक
उत्तराखंड गौरव सैनानी एसोसिएशन ने रैली में शामिल होकर प्रदर्शन किया। पूर्व सैनिकों ने जल, जंगल और जमीन के मुद्दों को उठाया। कहा कि राज्य को बचाने के लिए कानून नहीं ला रही है। कहा कि ये तो पहला प्रदर्शन था, जिसमें शासन और प्रशासन के पैर फूल गए।
सरकार को उत्तराखंड के अस्तित्व को बचाने के लिए भू-कानून 1950 को लागू करना होगा। पूर्व सैनिकों ने ये भी कहा कि उत्तराखंड के निवासी राजनीतिक पार्टियों की मंशा भली-भांति जान गए हैं। इसलिए जनता इन सबको आने वाले समय में बहुत बड़ा सबक सिखाने वाली है।
नारे ऐसे कि सरकार के कान फूट जाएं
विभिन्न संगठनों की रैली में राज्य से जुड़े मसलों पर जोरशोर से नारे लगाए गए। “उत्तराखंड्यू जागी जा आंदोलन की ध्वजा उठा”, “ जल, जंगल, जमीन हमारी नहीं चलेगी धौंस तुम्हारी” “भैजी भी मांगे भू-कानून” ,“जय बदरी, जय केदार मूल निवास, हमारा अधिकार”, “हरजू की धूणी बोले भू-कानून”, “एक ही जज्बा, एक जुनून”, “गोल्ज्यू देवता, न्याय कीजिए धमंडी सत्ता को, सदबुतद्धि दीजिए”, “एक ही नारा एक ही जूनून हमें चाहिए भू कानून”, और “सुन लो, दिल्ली, देहरादून हमें चाहिए, भू-कानून” जैसे नारों की गूंज रैली में रही।
रैली में बजी हुड़की और डौर-थाली
रैली के दौरान लोगों ने पंरापरागत गीतों पर जमकर डांस कर अपनी भावना को रखा। परेड मैदान से निकली रैली में लोग राज्य आंदोलन से जुड़े गीतों को गाते हुए आए। शहीद स्थल में जुटी भीड़ में दौरान अलग-अलग जगहों पर लोगों ने राज्य से जुड़े गीतों को गाया। ढोल और दमाऊ के साथ गीतों की गूंज ने राज्य आंदोलन की याद दिला दी। इस रैली में राज्य आंदोलनकारियों में भाजपा और कांग्रेस के नेता भी मौजूद रहे।
पुलिस भी डंडे लेकर थी खड़ी
लोगों की भीड़ को देखते हुए कचहरी शहीद स्थल में भारी पुलिस बल तैनात रहा। स्वंय एसपी सिटी ने मोर्चा संभाले रखा। इस दौरान शहीद स्थल में ड्रोन भी उड़ाया गया। जो ड्रोन भीड़ का आंकलन करते हुए दिखा। वहीं इस रैली को लेकर एलआईयू की टीम भी फील्ड में रही।