
शिक्षा विभाग का वार्षिक प्रतिवेदन 2022-23
वर्ष 2022 में फेल हो गए थे 9,438 बच्चे
राज्य प्रवक्ता
उत्तराखंड के सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी शिक्षा से जोड़ने की दिशा में 25 नवम्बर 2020 में अटल उत्कृष्ट योजना शुरू की गई। योजना के तहत प्रदेश के 95 ब्लॉक में दो-दो विद्यालय स्थापित किए गए।
उद्देश्य
- शिक्षण अंग्रेजी माध्यम से किए जाने के लिए अभिनव प्रयोग कर राजकीय विद्यालयों को शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्रों में विकसित करना।
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राजकीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों का बेहतर उपयोग और वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए शिक्षकों का व्यावसायिक कौशल विकास
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साधन विहिन, अपवंचित व कमजोर विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा में सीखने के अवसर प्रदान करना।
कार्य योजना
-अंग्रेजी भाषा का अध्यापन करने वाले शिक्षकों को चिन्हित अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में तैनात करना और पाठयक्रम को अंग्रेजी भाषा में विकसित कर छात्रों को अंग्रेजी भाषा में परीक्षा के लिए तैयार करना।
प्रधानाचार्य व शिक्षकों की तैनाती
शिक्षा विभाग इन विद्यालयों में प्रधानाचार्यों व शिक्षकों तक की पूर्ण रूप से तैनाती नहीं कर पाया है। विद्यालय खोलने के बाद सरकार ये तो कह दिया कि अब बच्चे अंग्रेजी माध्यम से पढ़कर कॉरमेंट स्कूलों के बच्चों को टक्कर देंगे लेकिन जब स्टॉफ ही पूरा नहीं है तो फिर यह कैसे संभव है।
स्टॉफ की स्थिति
कुल विद्यालय – 189
प्रधानाचार्यों के रिक्त – 181
प्रवक्ता रिक्त – 365
सहायक अध्यापक एलटी रिक्त – 114
कक्षा 10 व 12वीं की छात्र संख्या
कक्षा 10 में 10,345 और इंटरमीडिएट में कुल 13,136 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं।
पिछले वर्ष इन विद्यालयों के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणाम बेहद खराब रहे और इस वर्ष फिर बोर्ड परीक्षाओं का शेड्यूल जारी हो चुका लेकिन इस वर्ष भी विद्यालयों में प्रधानाचार्य और अध्यापकों का अभाव बना हुआ है। परीक्षा परिणाम में मात्र एक से दो प्रतिशत ही सुधार की गुंजाईश नजर आ रही है।
कब होगी काउंसलिंग
शैक्षणिक सत्र 2022-23 में अटल उत्कृष्ट विद्यालयों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। हाईस्कूल के 8499 छात्रों में से केवल 5141 बच्चे ही उत्तीर्ण हो पाए और इंटरमीडिएट में 12534 छात्रों में से 6454 छात्र ही परीक्षा पास कर पाए। हरिद्वार जिला सबसे फिसड्डी रहा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ मानते हैं कि सालों से हिंदी माध्यम से पढ़ रहे छात्रों को अचानक पढ़ाई अंग्रेजी में करनी पड़ी और इससे छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा, जिसे वे उठा नहीं पाए।
मंत्री के निर्देश
प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने पिछले साल रिजल्ट खराब होने पर विभाग के अधिकारियों को खूब फटकारा। रिजल्ट खराब होने पर वे आग बबूला हो गए थे और तब उन्होंने विभाग को निर्देश दिए कि तत्काल विद्यालयों में शिक्षकों की तैनात की जाए लेकिन एक साल होने को है लेकिन शिक्षकों की तैनाती अब तक नहीं हुई। अब सवाल उठता है कि अधिकारी धन सिंह की नहीं सुन रहे या फिर मंत्री गर्जन-तर्जन मात्र जनता को दिखा रहे हैं। खैर बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी-मार्च में होनी हैं और अभी तक प्रधानाचार्य और शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं, अब आप ही बताइए क्या सुधर पाएगा रिजल्ट ?