मूल निवास स्वाभिमान रैली बनाम उत्तराखंड सरकार
राज्य प्रवक्ता
मूल निवास स्वाभिमान रैली बनाम उत्तराखंड सरकार। 24 दिसम्बर की रैली ऐतिहासिक होने जा रही है। सालों से कांग्रेस और भाजपा की सरकारें उत्तराखंड के मूल निवासियों को ठगने का काम कर रही हैं। मूल निवासियों के हक पर लगातार डाका पड़ा है लेकिन अब लगता है कि उत्तराखंड जाग चुका और सरकार भी डरी हुई नजर आ रही है। लगातार सरकार भू-कानून, मूल निवास पर आदेश जारी हो रहे हैं। कोशिश है कि किसी तरह लोगों को थाम लिया जाए और एक बार फिर कमेटी गठन समेत अन्य समितियों के गठन की बात कही जा रही है। उत्तराखंड में उत्तराखंड सरकार को मूल निवासियों से क्या परहेज है जो नर्सिंग भर्ती में तो सभी राजस्थानी रोजगार पा चुके।
उत्तराखंड के लोगों को तो पता भी नहीं चला ये क्या खेल हो रहे हैं। अपने ही राज्य में बेगाने बने उत्तराखंडी अब जाग गए हैं। हिमाचल में प्रशासन का कैडर है और वहां आईएएस और पीसीएस को ही महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मदारी दी जाती है और उत्तराखंड में सारे बड़े पदों पर बाहर से आईएएस पीसीएस की तैनाती की जाती है। पीसीएस की परीक्षा का रिजल्ट तीन साल से अभी तक नहीं निकला। रिजल्ट निकलेगा तो वह भी उत्तराखंड के लोगों की कहानी ही बयान करेगा। फिलवक्त प्रसिद्ध लोक गायक हो या फिर गांव का साधारण व्यक्ति वह मूल निवास के मसले में एकजुट नजर आ रहा है और यह उत्तराखंड और उत्तराखंडियों के लिए एक शुभ संकेत है।
मूल निवास स्वाभिमान रैली
मूल निवास स्वाभिमान रैली को व्यापक समर्थन है। गई संगठनों ने इसका समर्थना किया है। इधर सरकार ने एक आदेश जारी कर कर्मचारियों को रोकने का प्रयास किया है। छह महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगाई गई है। बहरहाल रैली 24 दिसम्बर को सुबह 10 बजे परेड ग्राउंड से प्रारंभ होकर एस्लेहॉल,गांधी पार्क,घंटाघर, दर्शनलाल चौक, तहसील चौक से द्रोण चौक होते हुए शहीद स्मारक तक पहुंचनी है।
भाजपा की रैली
भाजपा की रैली में का रूट पवेलियन ग्राउंड से दर्शन लाल चौक–घंटाघर–राजपुर रोड़ है। प्रशासन कह रहा है कि मूल निवासियों को रूट बदलना होगा। उन्हें परेड ग्राउंड से कनमेंट स्कूल के सामने से होते हुए एसबआई चौक से बुद्धा चौक – वहां से दून अस्पताल – तहसील चौक– द्रोण होटल के समाने से होते हुए शहीद स्मारक जाना होगा।
बहरहाल सरकार सारा इंतजाम कर रही है और कोशिश है कि किसी भी तरह रैली को सफल न होने दिया जाए। इधर पूरे उत्तराखंड में मूल निवास, मूल निवास, भू-कानून, भू-कानून की आग सुलग चुकी है। कुछ- कुछ उत्तराखंड आंदोलन की तर्ज पर यह लड़ाई लड़ने की तैयारी है। अब देखना यह है कि सरकार जायजा मांग को मानती है या फिर आग को और भड़का कर बच्चे-बच्चे तक पहुंचाना चाहती है।