राज्य प्रवक्ता
देहरादून नगर निगम में स्वच्छता समितियों की तैनाती में हुए फर्जीवाड़े को लेकर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) ने जांच शुरू कर दी है। जांच के चलते सीडीओ ने नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग से कर्मचारियों से जुड़ी फाइल तलब की है। जांच के बाद पूरी स्थिति साफ होगी। नगर निगम में 200 स्वच्छता समितियां हैं। कथित तौर पर हर समिति में पांच कर्मचारियों की तैनाती बतायी गई। इस कारण 200 समितियों के चलते 1000 के करीब कर्मचारी होने चाहिए। लेकिन पार्षदों के नियंत्रण में रही समितियों में कर्मचारियों की संख्या को लेकर फर्जीवाड़ा सामने आया। बताया गया कि कई वार्डों में कर्मचारियों की संख्या कम रही, जबकि वेतन पूरा जाता रहा। ये ही नहीं कर्मचारियों के एकाउंट के बजाए उन्हें नकद वेतन दिया जाता रहा। ऐसे में इस पूरे सिस्टम में सवाल खड़े हुए। इसके बाद नगर निगम स्तर पर समितियों में तैनात कर्मचारियों की संख्या को लेकर भौतिक सत्यापन हुआ। जिसके बाद कर्मचारी कम निकले। ऐसे में समितियों में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े की आशंका के चलते प्रशासक सोनिका ने सीडीओ की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की। सीडीओ स्तर पर अब जांच शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों की संख्या से लेकर उनकी तैनाती का समय और एकाउंट आदि को लेकर रिकार्ड तलब कर लिए गए हैं। जांच में एक-एक कर्मचारी की संख्या और हाजिरी से लेकर वेतन जारी करने की स्थिति का आंकलन किया जाएगा। ये भी देखा जाएगा कि नगर निगम बोर्ड भंग होने से पहले कर्मचारियों के नामों में क्या कोई परिवर्तन हुआ। वहीं पार्षदों के स्तर पर बनी प्रबंध कमेटी के जरिए हर महीने कितने कर्मचारियों को वेतन जारी किया जाता था। हर वार्ड में कागजों में नाम के साथ कितने कर्मचारी रहे और वर्तमान में मौके पर नाम के साथ कितने कर्मचारी है, ये भी जांच का अह्म हिस्सा होगा। स्वच्छता समितियों में काम कर रहे कर्मचारियों का वेतन भी फंस गया है। काम कर रहे कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिल रहा। जांच के चलते उनका वेतन रोका गया है।