अनिल चमोली
इन दिनों उत्तराखंड का एक कुमाऊनी गीत ट्रेंडिंग पर है। जिस पर अभी तक फेसबुक व इंस्टाग्राम पर हज़ारों रील्स व शाट्स बन चुके हैं। गुलाबी शरारा गीत में जिस शरारा परिधान का जिक्र किया गया है। उस को लेकर भी शोशल मीडिया साइट्स में तमात तरह की बातें चल रही है। कोई शरारा को उत्तराखंडी तो कोई पंजाबी तो कोई राजस्थानी परिधान बता रहा है लेकिन हक़ीक़त यह कि शरारा पंजाबी-उत्तराखंडी तो दूर भारतीय परिधान भी नहीं है। यह पाकिस्तानी परिधान है जो मुगलों के साथ भारत आया व 1970-80 के बीच भारत मे प्रचलित हुआ। धीरे धीरे इसका क्रेज बढ़ा और आज यह हर युवतियों व महिलाओ की पहली पसंद बना हुआ है। प्रसद्धि बेवसाइट डीबी.नेट के मुताबिक शरारा लेबनानी मूल का है लेकिन इसकी जड़ें यमन में हमदान जनजाति से जुड़ी हैं। शरारा की उत्पत्ति मुगल राजघराने के बीच हुई और मुगलों के आगमन के साथ यह भारत आया। 1970 और 1980 के दशक में इन्हें मीना कुमारी और 2000 के दशक में करीना कपूर खान जैसी बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने लोकप्रिय बनाया। यह मुख्य रूप से पाकिस्तानी महिलाओं द्वारा उत्सवों में पहना जाता है। भारतीय परिधानों एवं फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में कार्य करने वाले अनुराग बेदवाल की माने तो शरारा बिल्कुल लहंगे की तरह दिखता है, बस ये लहंगे से ज़्यादा घेरदार और लंबा होता है। साथ ही ये ए शेप का होता है। इसमें नीचे की तरफ खूबसूरत गिरावट के साथ लेस, गोटा या स्टोन की कारीगरी की जाती है। इसे खासतौर पर लम्बी या छोटी कुर्ती के साथ पहना जाता है। वे बताते हैं कि शरारा पाकिस्तानी परिधान है जबकि शरारा की तरह दिखने वाला गरारा भारतीय परिधान है।